मोदी जी कह रहे है कि राज्य सरप्लस बिजली ऊँचे दामो में न बेचे !....... एक बात बताइये महाराज !...... बिजली के क्षेत्र में पूर्ण निजीकरण के भस्मासुर को तो आपने ही जन्म दिया है न !
कल दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा, 'दिल्ली वालों को 5 रुपये की चीज ₹25 में खरीदने पड़ रही है. दिल्ली वाले ₹25 यूनिट बिजली कितने दिन तक खरीद पाएंगे?
एक बात बताइये यह बिजली खरीद कहा से रहे हैं ? क्या विदेशी पॉवर प्लांट से बिजली खरीद रहे हैं ?
नही !....ये उस मार्केट से बिजली खरीद रहे हैं जिसे आपने यानी मोदी सरकार ने ही बनाया है !
आप भूल गए हैं जून 2020 मे आपकी सरकार ने ही इंडियन एनर्जी एक्सचेंज बनाया था जिसके अंतर्गत बिजली कंपनियां अपनी जरूरत के अनुसार केवल एक घंटे पहले बिजली की खरीद-बिक्री कर सकती है यहां मांग-आपूर्ति के हिसाब से बिजली का दाम तय होता है, यानी इसके दामों में बढ़ोतरी और गिरावट होती रहती है.
इंडियन एनर्जी एक्सचेंज में आधे-आधे घंटे पर नीलामी के जरिये बिजली का कारोबार किये जाने की व्यवस्था की गई है बोली सत्र समाप्त होने एक घंटे के भीतर बिजली की डिलिवरी देने की बात की गई है,
यह रियल टाइम मार्केट आपके कर कमलों से ही तो शुरू हुआ था......आपकी तो सांसे एक साल में ही फूल गयी !.....
इतिहास से पता चलता है कि जिस भी क्षेत्र में इस तरह का मार्केट ओपन किया जाता है वहाँ बाजार की ताकते अपनी मनमानी कर कीमतो को ऊपर ले जाती है ....ओर आज यही हो रहा है संकट है नही बल्कि पैदा किया जा रहा है ताकि घरेलू बिजली के दाम ऊपर ले जाए जा सके
कुछ ही महीने पहले अगस्त 2021 में ऐसी भी मीडिया रिपोर्ट्स आयी थी जिसके अनुसार सरकार की ओर से टाटा पावर और अडानी पावर को एक्सचेंज पर राज्यों को और बिजली बेचने का निर्देश दिया है
भारत की कुल उत्पादन क्षमता करीब 3.9 लाख मेगावाट है. लेकिन बिजली की अधिकतम मांग अब तक 2 लाख मेगावाट से ज्यादा नहीं रही है.
पिछले साल अप्रैल से सितंबर के बीच छह महीनों में कोयले का उत्पादन 28.2 करोड़ टन था. इस साल यह 31.5 करोड़ टन रहा है. यानी इसमें 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
ऐसे में बिजली संकट क्यो पैदा किया जा रहा है ?
साफ है कि निजि क्षेत्र के खिलाड़ियों जिसमे सबसे प्रमुख खिलाड़ी अडानी उसे ही फायदा देने के लिए यह सब कुचक्र रचे जा रहे हैं
यह पढ़िए अडानी जी को फायदा पुहचाने की स्कीम
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