दलित उत्थान के नाम पर जातिवादी अस्मिता, जैसे मायावती, अखिलेश यादव & तेजस्वी यादव की सामाजिक न्याय की 'बहुजन राजनीति' या दलित राजनीति अपने सार में उतनी ही दक्षिण पंथी और प्रतिक्रियावादी राजनीति है जितना हिन्दू उत्थान के नाम पर हिन्दू अस्मिता, जैसे आरएसएस, विश्वहिंदू परिषद, भाजपा आदि की सांप्रदायिक 'हिन्दू बहुमत' राजनीति। कॉर्पोरेट बुर्जुवा वर्ग द्वारा पोषित ये राजनीति ग़ैरवर्गीय विरोध एवम भेद भाव को बढ़ावा देते है एवम लुटेरे पूंजीवादी शोषक वर्ग के खिलाफ मिहनतकस जनता की एकता को जाति और धर्म के आधार पर तोड़ते है। कम्युनिष्टों का काम लुटेरे पूंजीवादी शोषक वर्ग के खिलाफ मिहनतकस जनता की एकता को वर्ग के आधार पर मजबूत करना है।
कॉर्पोरेट पोषित घोर प्रतिक्रियावादी गैर-वर्गीय 'हिन्दू बहुमत राजनीति' या 'दलित बहुजन राजनीति' नही, वर्ग आधारित बहुसंख्यक मजदूर राजनीति ही आज एक मात्र विकल्प है।
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