Sunday, 27 June 2021

कुमार विश्वबंधु की भूख पर लिखी कविता


भूख जरूरी है
खाना खाने के लिए
खाना जरूरी है
जिन्दा रहने के लिए

भले जिन्दा रहना जरूरी न हो
सब के लिए,
पर जो जिन्दा हैं
उनके लिए
हर हाल में खाना जरूरी है
चाहे रोटी खाएं
चाहे पुलिस कि गोलियां !

भूख आती थी
वह उसे मार देता था
भूख जिन्दा हो जाती थी
वह फिर उसे मार देता था
भूख लौट-लौट कर आ जाती थी
वह उसे उलट-उलट कर मार देता था
एक दिन भूख दबे पांव आई
और..
उसे खा गई  !!

जो भूखे थे
वे सोच रहे थे रोटी के बारे में,
जिनके पेट भरे थे
वे भूख पर कर रहे थे बातचीत
गढ़ रहे थे सिद्धांत
ख़ोज रहे थे सूत्र ....

कुछ और लोग भी थे सभा में
जिन्हौंने खा लिया था 
आवश्यकता से अधिक खाना
और एक दूसरे से दबी जबान में
पूछ रहे थे 
दवाईयों के नाम....

सीरियल किलर की तरह भूख
एक के बाद एक
कर रही है हत्याएं
और घूम रही है खुले आम यहां-वहां
देश भर में
लोकतंत्र के छुट्टे सांड की तरह ...!!
Gurcharan Singh की वाल से "साभार"

No comments:

Post a Comment

१९५३ में स्टालिन की शव यात्रा पर उमड़ा सैलाब 

*On this day in 1953, a sea of humanity thronged the streets for Stalin's funeral procession.* Joseph Stalin, the Soviet Union's fea...