अँग्रेजों के भारत छोड़ने के हालाँकि कई कारण थे, मगर एक प्रमुख कारण यह था -भारतीय-थलसेना एवं जलसेना के सैनिकों का विद्रोह।
बिना भारतीय-सैनिकों के सिर्फ ब्रिटिश-सैनिकों के बल पर सारे भारत को नियंत्रित करना ब्रिटेन के लिए सम्भव नहीं था।
ब्रिटिशों के भारत-छोड़कर जाने के पीछे गाँधीजी या काँग्रेस की अहिंसात्मक नीतियों का योगदान बहुत ही कम रहा।
उसी नेवी की बगावत के सिपाहियों को गाँधी ने 'सिपाही नहीं गुण्डे' कहा था और ब्रिटिश ने उस विद्रोह को बेरहमी से कुचलने में कामयाबी पाई थी.
बगावती-सिपाहियों को गोलियों से भून दिए जाने पर प्रसिद्ध;इन्क्लाबी शायर 'साहिर-लुधियानवी' ने लिखा था ………
* ए रहबर मुल्को कौम बता,
ये किसका लहू है कौन मरा
क्या कौमो वतन की जय
गाकर मरते हुए राही गुण्डे थे..
जो बागे गुलामी सह न सके
वो मुजरिम-ए-शाही गुण्डे थे?
जो देश का परचम ले के उठे
वो शोख सिपाही गुण्डे थे?
जम्हूर से अब नज़रें न चुरा
अय रहबर मुल्को कौम बता
ये किसका लहू है कौन मरा ………
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