Saturday, 2 January 2021

किसानों के सवाल पर एंगेल्स

हमारी पार्टी का यह कर्तव्य है कि किसानों को बारंबार स्पष्टता के साथ जताए कि पूंजीवाद का बोलबाला रहते हुए उनकी स्थिति पूर्णतया निराशापूर्ण है  ,कि उनकी छोटी जोतों को इस रूप में बरकरार रखना एकदम असंभव है ,कि बड़े पैमाने का पूंजीवादी उत्पादन उनके छोटे उत्पादन की अशक्त , जीर्ण-शीर्ण प्रणाली को उसी तरह कुचल देगा, जिस तरह रेलगाड़ी ठेला गाड़ी को कुचल देती है। ऐसा करके हम आर्थिक विकास की अनिवार्य प्रवृत्ति के अनुरूप कार्य करेंगे ।और यह विकास एक न एक दिन छोटे किसानों के मन में हमारी बात को बैठाए  बिना नहीं रह सकता।     (पृ.385)
    ....मझोला किसान जहां छोटी जोत वाले किसानों के बीच रहता है ,वहां उसके हित और विचार उनके हित और विचारों से बहुत अधिक भिन्न नहीं होते ।वह अपने तजुर्बे से जानता है कि उसके जैसे कितने ही लोग छोटे किसानों की हालत में पहुंच चुके हैं ।पर जहां मझोले और बड़े किसानों का प्राधान्य होता है और कृषि के संचालन के लिए आम तौर पर नौकर और नौकरानियों की आवश्यकता होती है, वहां बात बिल्कुल दूसरी ही है ।कहने की जरूरत नहीं कि मजदूरों की पार्टी को प्रथमत: उजरती मजदूरों की ओर से, यानी इन नौकरों- नौकरानियों और दिहाड़ीदार मजदूरों की ओर से ही लड़ना है। किसानों से ऐसा कोई वादा करना निर्विवाद रूप से निषिद्ध है, जिसमें मजदूरों की उजरती गुलामी को जारी रखना सम्मिलित हो। परंतु जब तक बड़े और मझोले किसानों का अस्तित्व है ,वे उजरती मजदूरों के बिना काम नहीं चला सकते ।इसलिए छोटी जोत वाले किसानों को हमारा यह आश्वासन देना कि वह इस रूप में सदा बने रह सकते हैं , जहां मूर्खता की पराकाष्ठा होगी ,वहां बड़े और मझोले किसानों को यह आश्वासन देना गद्दारी की सीमा तक पहुंच जाना होगा।      (पृ.385-86)
       ....  हमें आर्थिक दृष्टि से यह पक्का यकीन है कि छोटे किसानों की तरह बड़े और मझोले किसान भी अवश्य ही पूँजीवादी उत्पादन और सस्ते विदेशी गल्ले की होड़ के शिकार बन जायेंगे। यह इन किसानों की भी बढ़ती हुई ऋणग्रस्तता और सभी जगह दिखाई पड़ रही अवनति से सिद्ध हो जाता है।(पृ.386)     
   उपरोक्त उद्धरण     'फ्रांस और जर्मनी में किसानों का सवाल', एंगेल्स, संकलित रचनाएं ,खण्ड 3,भाग2 से लिया गया है।

No comments:

Post a Comment

१९५३ में स्टालिन की शव यात्रा पर उमड़ा सैलाब 

*On this day in 1953, a sea of humanity thronged the streets for Stalin's funeral procession.* Joseph Stalin, the Soviet Union's fea...