Sunday, 20 September 2020

किसानों के खिलाफ मोदी सरकार के तीन अध्यादेश




कॉर्पोरेट गैंग की चहेती फासीवादी भाजपा सरकार ने  किसानों को तीन अध्यादेश तोहफे के रूप में दिया है जिसका व्यापक विरोध हो रहा है।
वे तीन अध्यादेश है:
1.फॉर्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) ऑर्डिनेंस

2. एसेंशियल एक्ट 1955 में बदलाव

3. फॉर्मर्स अग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस ऑर्डिनेंस

 यह विश्व बुर्जुवा संस्थान WTO के इशारे पर किया जा रहा है, जिसका मकसद है -कृषि उत्पाद के व्यापार को पूरी तरह बाजार के हवाले कर देना और कृषि क्षेत्र में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के माध्यम से कॉर्पोरेट घुसपैठ को सुगम बनाना। किसानो को अंदेशा है और वे डरे हुए है कि सरकार खेती में दिए जा रहे न्यूनतम समर्थन मूल्य से हाथ खींचना चाह रही है।

लानत है ऐसे पूंजीवाद और पूंजीवादी कृषि प्रणाली पर जिसके अंदर किसानों का सबसे धनी और मजबूत तबका भी  अपने बल-बुते नही, सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य के सहारे टीका हुआ था। छोटे और गरीब किसानों की तो बात ही और है, वे पहले से ही बदहाली भरी जिंदगी जीने को विवश है।

इसमें संदेह नही कि खुले  बाजार में  धनी किसानों के लिये कॉर्पोरेट निवेश और नियंत्रण वाले खेती से मुकाबला करना आसान नही होगा। यह कदम किसानों के बीच पूंजीवादी सम्पत्तिहरण की प्रक्रिया को भी और तेज करेगा और कृषि क्षेत्र में कॉर्पोरेट निवेश और नियंत्रण की राह खोलेगा।

पूंजीवाद ने किसानों को, और खास कर छोटे जोत के  किसानों को एक ही चीज दिया है -  बदहाली भरी जिंदगी और सम्पत्तिहरण। 

कृषि सम्बन्धी ये तीन बिल क्या कृषि क्षेत्र के सबसे धनी संस्तर के सामने भी कॉर्पोरेट खेती द्वारा इनके सम्पत्तिहरण का खतरा पैदा कर दिया है?


No comments:

Post a Comment

१९५३ में स्टालिन की शव यात्रा पर उमड़ा सैलाब 

*On this day in 1953, a sea of humanity thronged the streets for Stalin's funeral procession.* Joseph Stalin, the Soviet Union's fea...